Tuesday, December 17, 2019

तुम आना

तुम आना 
किसी जश्न की तरह नही 
न किसी त्रासदी की तरह 
जब भी आना 
एक चोट बन कर आना 
हल्की और गहरी चोट
तुम्हारे चले जाने के बाद 
मेरा वादा है तुमसे 
मैं तुम्हारे निशान 
अपनी इस त्वचा पर 
सम्भाल कर रखूंगा 
             -- आकर्ष
                

Sunday, December 15, 2019

क्या होता होगा ?

क्या होता होगा ? 
जब पीड़ा सारी सीमाएं लांघ रहा हो 
और आंखों में आंसू न आने दिए जाएं 
क्या होता होगा ?
जब पूरा शरीर जल रहा हो 
और तड़पने की इजाजत न हो 
क्या होता होगा ?
जब किसी प्यासे पक्षी को 
रेगीस्तान में छोड़ दिया जाए 
क्या होता होगा ?
जब पानी जमने लगे 
और मछलियों को निकलने न दिया जाए
क्या होता होगा ?
जब तुम मुझे रोज दिखाई दो 
और मैं तुम्हे गले न लगा सकूं 
                 -आकर्ष